दिवाली के 5 दिन का महत्व | Five days of Diwali | Diwali 2021 | दिवाली 2021


 'दीपावली' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "प्रकाश की पंक्तियाँ" होता है। भारतीय कैलेंडर के हिसाब से यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व ज्ञान (प्रकाश) का अज्ञानता (अंधेरे) पर विजयी होने का प्रतीक है।

 

धनतेरस |Dhanteras

उत्सव के पहले दिन, घरों और व्यावसायिक परिसर को पुनर्निर्मित किया जाता है और सजाया जाता हैं। धन और समृद्धि (लक्ष्मी) की देवी के स्वागत के लिए रंगोली की डिजाइन के सुंदर पारंपरिक रूपांकनों के साथ रंगीन प्रवेश द्वार बनाए जाते है। उसकी लम्बी प्रतीक्षा का आगमन दर्शाने के लिए, घर में चावल के आटे और कुमकुम से छोटे पैरों के निशान बनाएं जाते है। पूरी रात दीपक जलाए जाते है। इस दिन को शुभ माना जाता है इसलिए, महिलाएं कुछ सोने या चांदी या कुछ नए बर्तन खरीदती है और भारत के कुछ भागों में, पशु की भी पूजा की जाती हैं। इस दिन को धन्वन्तरि-(आयुर्वेद के भगवान या देवताओं के चिकित्सक) का जन्मदिन माना जाता है और धन्वन्तरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन पर, मृत्यु के देवता- यम का पूजन करने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं इसलिए यह 'यमदीपदान' के रूप में भी जाना जाता है। यह असमय मृत्यु के डर को दूर करने के लिए माना जाता है।

 

नरक चतुर्दशी |Naraka Chaturdashi

दूसरे दिन नर्क चतुर्दशी होती है| इस दिन सुबह जल्दी जागना और सूर्योदय से पहले स्नान करने की एक परंपरा है। कहानी यह है कि दानव राजा नरकासुर- प्रागज्योतीसपुर (नेपाल का एक दक्षिण प्रांत) के शासक- इंद्र देव को हराने के बाद, अदिति (देवताओं कि माँ) के मनमोहक झुमके छीन लेते हैं और अपने अन्त:पुर में देवताओं और संतों की सोलह हजार बेटियों को कैद कर लेते हैं। नर्क चतुर्दशी के अगले दिन, भगवान कृष्ण ने दानव को मार डाला और कैद हुई कन्याओं को मुक्त कराकर, अदिति के कीमती झुमके बरामद किये थे। महिलाओं ने अपने शरीर को सुगंधित तेल से मालिश किया और अपने शरीर से गंदगी को धोने के लिए एक अच्छा स्नान किया। इसलिए, सुबह जल्दी स्नान की यह परंपरा बुराई पर दिव्यता की विजय का प्रतीक है। यह दिन अच्छाई से भरा एक भविष्य की घोषणा का प्रतिनिधित्व करता है।

नरक चतुर्दशी (काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली या नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है) ए हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर अश्विन महीने की विक्रम संवत्में और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदहवें दिन) पर होती है। यह दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का दूसरा दिन है।

हिन्दू साहित्य बताते हैं कि असुर (राक्षस) नरकासुर का वध कृष्ण, सत्यभामा और काली द्वारा इस दिन पर हुआ था।यह दिन सुबहधार्मिक अनुष्ठान, उत्सव और उल्हास के साथ मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी कथा | Narak Chaturdashi story

मैंने भागवत नहीं पढ़ी है। मैं इस विषय में ज्यादा नहीं जनता। परन्तु मैंने सुना है कि भगवान् कृष्ण ने एक देश जो कि वर्तमान में ईराक है, को मुक्त कराया था। नरकासुर नामक एक राक्षस उस समय ईराक पर शासन करता था। उसकी 16000 उपपत्नियां (रखैलें) थीं और वह सभी को सताया करता था। उस देश की समस्त जनता परेशान थी। उसके पुत्र का नाम भागदत्त था और भागदत्त के कारण ही उस शहर को बग़दाद के नाम से जाना जाता है। अतः कहा जा सकता है कि ईराक आज जो सह रहा है, वो 5000 हजार वर्षों पहले भी उसके साथ घटित हो चुका है। 5000 वर्ष पहले भी ईराक में इसी प्रकार की शासन व्यवस्था थी। जब मैं ईराक में था तो कुर्दिस्तान में लोगों ने मुझे बताया कि वहां सैकड़ों गाँव ऐसे हैं, जिनमें एक भी पुरुष नहीं हैं क्योंकि सद्दाम हुसैन ने सभी पुरुषों को मार दिया है। उन सैकड़ों गावों में लोग इतने कष्ट में थे। हमने कुछ ग्रामीणों से बात की और वे सब की सब महिलायें थीं। वे सामने आ कर अपनी दुःखभरी कहानी सुना रही थीं।

यह बहुत ही निराशाजनक है कि इस युग में भी ऐसी असुरी प्रकृति की सोच विद्यमान हो सकती है। आपने युगांडा में भी इसी प्रकार की घटनाओं के विषय में सुना होगा। किसी ने फ्रिज में बहुत सारी खोपड़ियाँ इकट्ठी कर रखी थीं। नहीं सुना है क्या इसके बारे में? हाँ! और कम्बोडिया में भी लाखों लोग सताए जाते हैं, यहाँ तक कि आज भी वहां इस प्रकार की ज्यादतियां देखने को मिल जाती हैं। कम्बोडिया में एक कम्युनिस्ट जनरल ने सभी को खेती करने के लिए कहा। और लोगों को खेती करना नहीं आता था, जो लोग व्यापारी थे, खेती के बारे में कुछ नहीं जानते थे, उसने उनपर जबरदस्ती की। जिसने भी उसकी बात मानने से इनकार किया जनरल ने उसे मार दिया। लाखों लोग मारे गए। कम्बोडिया की एक तिहाई जनता एक आदमी के हाथों मारी गई।

अतः ऐसी आसुरी मानसिकता 5000 वर्ष पहले भी विद्यमान थी। नरकासुर ने 16000 स्त्रियों से जबरदस्ती विवाह किया, उन्हें बंदी बना के रखा और अपना दास बना लिया। अतः जब वो श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया तो उन सभी स्त्रियों का उद्धार हो गया। श्रीकृष्ण ने उन्हें मुक्त कर दिया। इसके बाद उन 16000 स्त्रियों ने कहा कि हम सभी आत्महत्या कर लेंगे। वे सभी सामूहिक आत्महत्या करना चाहती थीं क्योंकि उन दिनों स्त्रियों के लिए वर्जित था कि वे बिना पति के रहें। उन्हें समाज में वो सम्मान नहीं मिलता था, विशेषकर एक आसुरी प्रकृति वाले व्यक्ति के पत्नी को। इसलिए उन सभी ने श्रीकृष्ण से कहा कि ‘इस व्यक्ति के साथ रहने के कारण अब हमारा परिवार हमें नहीं अपनाएगा और ये संसार भी हमें स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि हम उस आसुरी प्रकृति वाले व्यक्ति, जिसने लाखों लोगों के जीवन का विनाश किया है, की पत्नियाँ हैं। इसलिए अच्छा है कि हम सब मर जाएँ।

इस पर श्रीकृष्ण ने उनसे कहा, नहीं! मैं तुम सब को अपना उपनाम दूंगा। तुम्हें अपने आपको “ये या वो” अथवा “नरकासुर की पत्नी” कहलवाने की आवश्यकता नहीं है। श्रीकृष्ण उस काल में एक बहुत ही सम्मानीय एवं जाने - माने व्यक्ति थे। ऐसा करने पर वे सभी स्त्रियाँ मर्यादा के साथ रह सकती थीं, इसलिए उन्होंने कहा कि वे उन स्त्रियों को अपना नाम दे कर अथवा उनके स्वामी बन कर या उन्हें अपना पति मान कर, मर्यादा प्रदान कर रहे हैं। यह एक कथा है, एक पक्ष है। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने नरकासुर की उन सभी 16000 उपपत्नियों (रखैलों) को अपना नाम दे कर एक सम्मान जनक जीवन प्रदान किया। ऐसा कर के उन्होंने कितना अच्छा काम किया ना? इस प्रकार श्रीकृष्ण ने उन्हें एक नया जीवन दिया। परन्तु उनकी वास्तविक पत्नियाँ तो रुक्मिणी, सत्यभामा एवं जाम्बवती ही थीं।

 


लक्ष्मी पूजन | Lakshmi Pooja

दिवाली के 5 दिन का महत्व | Five days of Diwali | Diwali 2021 | दिवाली 2021

तीसरा दिन समारोह का सबसे महत्वपूर्ण दिन है-लक्ष्मी पूजा। यह वह दिन है जब सूरज अपने दूसरे चरण में प्रवेश करता है। अंधियारी रात होने के बावजूद भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। छोटे छोटे टिमटिमाते दीपक पूरे शहर में प्रज्वलित होने से रात का अभेद्य अंधकार धीरे-धीरे गायब हो जाता है। यह माना जाता है कि लक्ष्मीजी दीपावली कि रात को पृथ्वी पर चलती हैं और विपुलता व समृद्धि के लिए आशीर्वाद की वर्षा करती है। इस शाम लोग लक्ष्मी पूजा करते है और घर की बनाई हुए मिठाई सभी को बांटते है। यह बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि इसी दिन कई संतों और महान लोगों ने समाधि ली और अपने नश्वर शरीर छोड़ दिया था। महान संतो के दृष्टांत में भगवान कृष्ण और भगवान महावीर शामिल हैं। यह वो दिन भी है जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद माता सीता और लक्ष्मण के साथ घर लौटे थे। इस दिवाली के दिन के बारे में एक बहुत ही दिलचस्प कहानी कठोपनिषद से भी है| एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम नचिकेत था| वह मानता था कि मृत्यु के देवता यम, अमावस्या की अंधेरी रात के जैसे रूप में काले हैं लेकिन जब वह व्यक्ति के रूप में यम से मिला, तो वह यम का शांत चेहरा और सम्मानजनक कद देखकर हैरान रह गया। यम ने नचिकेता को समझाया केवल मौत के अंधेरे के माध्यम से गुजरने के बाद व्यक्ति उच्चतम ज्ञान की रोशनी देखता है और उसकी आत्मा, परमात्मा के साथ एक होने के लिए अपने शरीर के बंधन से मुक्त होती हैं। तब नचिकेता को सांसारिक जीवन के महत्व और मृत्यु के महत्व का एहसास हुआ। अपने सभी संदेह को छोडकर, उसने फिर दिवाली के समारोह में हिस्सा लिया।


गोवर्धन पूजा (बलि प्रतिपदा) |Govardhan Puja

दिवाली के 5 दिन का महत्व | Five days of Diwali | Diwali 2021 | दिवाली 2021

समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है और राजा विक्रम की ताजपोशी को चिह्नित करता है। यह वो दिन भी है जब भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र की मूसलाधार बारिश के क्रोध से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था।


भाईदूज |Bhai Dooj

दिवाली के 5 दिन का महत्व | Five days of Diwali | Diwali 2021 | दिवाली 2021

भाइयों और बहनों के बीच प्रेम का प्रतीक दर्शाता है। भाई उन्हें उनके प्यार की निशानी के रूप में एक उपहार देते हैं।


पटाखे और आतिशबाजी

दिवाली के 5 दिन का महत्व | Five days of Diwali | Diwali 2021 | दिवाली 2021

क्रोध, ईर्ष्या या भय - जो भी नकारात्मकता आपके मन में पिछले एक साल में जमा हो गई है, वह सभी पटाखे के रूप में विस्फोट हो जाना चाहिए| प्रत्येक पटाखा के साथ, किसी भी व्यक्ति के लिए आपके मन में जो भी नकारात्मकता हो उसका विस्फोट करें या पटाखे के उपर उस व्यक्ति का नाम लिखें और उसका विस्फोट करें और सिर्फ यह जाने कि सभी बुरी भावनाएं, ईर्ष्या, आदि जला दिए गए हैं। लेकिन हम क्या करते हैं? नकारात्मकता को मिटाने के बजाय, या तो हम उस व्यक्ति को मिटाना चाहते है या अपने आप को नकारात्मकता की आग में जलाया करते हैं। आपके पास दूसरा रास्ता भी होना चाहिए। सभी नकारात्मकता या बुरी भावनाएं पटाखे के साथ फोड दें और फिर से उस व्यक्ति के साथ मित्रता बनाए, तब आप प्रेम, शांति और आनंद के साथ हल्कापन महसूस करेंगे| इसके पश्चात् उस व्यक्ति के साथ मिठाई बांटे और दीवाली का जश्न मनाएं। उस व्यक्ति को नहीं लेकिन उस व्यक्ति के अवगुणों का पटाखों से विस्फोट करना ये सही मायने में दिवाली है।

यह उत्सव ढलते चाँद के पखवाड़े के 13 दिन से प्रारंभ होता है।


यह माना जाता है कि धन (लक्ष्मी देवी) बहुत क्षणिक है और यह केवल वहीं रहती है, जहां कड़ी मेहनत, ईमानदारी और कृतज्ञता हो। श्रीमद भागवत में, वहाँ एक घटना के बारे में एक उल्लेख है जब देवी लक्ष्मी ने राजा बली का शरीर छोड़ दिया और भगवान इंद्र के साथ जाना चाहती थी। पूछताछ पर उन्होंने कहा कि वह केवल वहीं रहती है, जहां 'सत्य', 'दान', 'तप', 'पराक्रम' और 'धर्म' हो।

इस दिवाली हम सब प्रार्थना करे और आभारी महसूस करें। विश्व के हर कोने में समृद्धि हो और सभी लोग प्यार, खुशी और अपने जीवन में विपुलता का अनुभव करे।


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